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शाहजहांपुर में अपनी स्कूटी से आक्सीजन सिलिंडर लेकर जातीं अर्शी।
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, बरेली
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शाहजहांपुर। पिता को ऑक्सीजन के लिए तड़पते देखकर अर्शी के मन में विचार आया कि ऐसे न जाने कितने लोग ऑक्सीजन के अभाव में परेशान होंगे। पिता के ठीक होने के बाद अर्शी ने उस विचार को अपने मकसद में तब्दील कर लिया और कोरोना काल में अब तक अर्शी 20 से ज्यादा परेशान लोगों को अपनी स्कूटी से ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचा चुकी है।
शहर के मोहल्ला मदराखेल निवासी अर्शी (26) के पापा मशकूर की कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ गई थी। ऑक्सीजन लेवल कम होने से सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई थी। जल्द ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए बोल दिया गया। ऑक्सीजन के लिए न जाने कितने लोगों के सामने उन्हें हाथ जोड़ना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपने चचेरे भाई और दोस्तों के सहयोग से ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था कर ली। ऑक्सीजन मिलने से उनके पिता मशकूर की जान बच गई और अब वह बिल्कुल स्वस्थ हैं। इसके बाद भी अर्शी आराम से घर पर नहीं बैठीं।
बताया कि पिता को ऑक्सीजन के लिए जूझते देखकर उन्होंने फैसला ले लिया था किसी जरूरतमंद को परेशान नहीं होने देंगी। अर्शी ने अपने पिता के लिए निजी तौर पर खरीदे गए सिलिंडरों को भरवाकर जरूरतमंदों को उपलब्ध करना शुरू कर दिया। अब जब भी उनके पास किसी जरूरतमंद का फोन आता है, तो वह तुरंत अपनी स्कूटी पर सिलिंडर रखकर निकल पड़ती हैं। सिलिंडर को जरूरतमंद के घर तक पहुंचाकर अब तक उन्होंने करीब दो दर्जन लोगों की जान बचाई है। सबसे अच्छी बात है कि सिलिंडर को भरवाने से लेकर उसको जरूरतमंद के घर तक पहुंचाने में आने वाले खर्च को अर्शी खुद वहन करती हैं। इसमें उनका सहयोग अहसास वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य भी करते हैं। अर्शी सोसाइटी की महिला विंग अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था सामाजिक कार्यों में आगे रहती है। संवाद
शाहजहांपुर। पिता को ऑक्सीजन के लिए तड़पते देखकर अर्शी के मन में विचार आया कि ऐसे न जाने कितने लोग ऑक्सीजन के अभाव में परेशान होंगे। पिता के ठीक होने के बाद अर्शी ने उस विचार को अपने मकसद में तब्दील कर लिया और कोरोना काल में अब तक अर्शी 20 से ज्यादा परेशान लोगों को अपनी स्कूटी से ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचा चुकी है।
शहर के मोहल्ला मदराखेल निवासी अर्शी (26) के पापा मशकूर की कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ गई थी। ऑक्सीजन लेवल कम होने से सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई थी। जल्द ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए बोल दिया गया। ऑक्सीजन के लिए न जाने कितने लोगों के सामने उन्हें हाथ जोड़ना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपने चचेरे भाई और दोस्तों के सहयोग से ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था कर ली। ऑक्सीजन मिलने से उनके पिता मशकूर की जान बच गई और अब वह बिल्कुल स्वस्थ हैं। इसके बाद भी अर्शी आराम से घर पर नहीं बैठीं।
बताया कि पिता को ऑक्सीजन के लिए जूझते देखकर उन्होंने फैसला ले लिया था किसी जरूरतमंद को परेशान नहीं होने देंगी। अर्शी ने अपने पिता के लिए निजी तौर पर खरीदे गए सिलिंडरों को भरवाकर जरूरतमंदों को उपलब्ध करना शुरू कर दिया। अब जब भी उनके पास किसी जरूरतमंद का फोन आता है, तो वह तुरंत अपनी स्कूटी पर सिलिंडर रखकर निकल पड़ती हैं। सिलिंडर को जरूरतमंद के घर तक पहुंचाकर अब तक उन्होंने करीब दो दर्जन लोगों की जान बचाई है। सबसे अच्छी बात है कि सिलिंडर को भरवाने से लेकर उसको जरूरतमंद के घर तक पहुंचाने में आने वाले खर्च को अर्शी खुद वहन करती हैं। इसमें उनका सहयोग अहसास वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य भी करते हैं। अर्शी सोसाइटी की महिला विंग अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था सामाजिक कार्यों में आगे रहती है। संवाद
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