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वहीं, आगे एनसीईआरटी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर भविष्य में पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा। एनसीईआरटी ने इस कविता को लेकर सफाई ट्विटर के जरिए दी है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इस कविता के छोकरी शब्द को लेकर सोशल मीडिया पर पिछले काफी दिनों से विवाद खड़ा हुआ था। हिंदी भाषा के कई जानकार और सोशल मीडिया यूजर्स इस कविता को पाठ्यपुस्तक से हटाने की मांग कर रहे थे। छोकरी शब्द को कई लोग आवारा बोल चाल की भाषा बता रहे थे और यह भी तर्क दे रहे थे कि पहली कक्षा के छात्र अगर इस शब्द को पढ़ेंगे तो उनके मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यह भी कहा जा रहा था कि इस कविता में छह साल की बच्ची से आम बिकवा कर बाल मजदूरी को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस तरह के तमाम सोशल मीडिया विमर्श और विरोध के बाद इस कविता पर एनसीईआरटी ने स्पष्टीकरण दिया है।
यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखी है। कविता पहली कक्षा के बच्चे 2006 से लगातार पढ़ रहे हैं। साल 2018 से उत्तराखण्ड के बच्चे भी अब इस कविता को पढ़ रहे हैं। यह कविता राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा तैयार की गई किताब रिमझिम 1 का हिस्सा है।
क्या है कविता?
छह साल की छोकरी,
भरकर लाई टोकरी।
टोकरी में आम हैं,
नहीं बताती दाम है।
दिखा-दिखाकर टोकरी,
हमें बुलाती छोकरी।
हम को देती आम है,
नहीं बुलाती नाम है।
नाम नहीं अब पूछना,
हमें आम है चूसना।
विस्तार
वहीं, आगे एनसीईआरटी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर भविष्य में पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा। एनसीईआरटी ने इस कविता को लेकर सफाई ट्विटर के जरिए दी है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इस कविता के छोकरी शब्द को लेकर सोशल मीडिया पर पिछले काफी दिनों से विवाद खड़ा हुआ था। हिंदी भाषा के कई जानकार और सोशल मीडिया यूजर्स इस कविता को पाठ्यपुस्तक से हटाने की मांग कर रहे थे। छोकरी शब्द को कई लोग आवारा बोल चाल की भाषा बता रहे थे और यह भी तर्क दे रहे थे कि पहली कक्षा के छात्र अगर इस शब्द को पढ़ेंगे तो उनके मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यह भी कहा जा रहा था कि इस कविता में छह साल की बच्ची से आम बिकवा कर बाल मजदूरी को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस तरह के तमाम सोशल मीडिया विमर्श और विरोध के बाद इस कविता पर एनसीईआरटी ने स्पष्टीकरण दिया है।
कविता
– फोटो : सोशल मीडिया
यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखी है। कविता पहली कक्षा के बच्चे 2006 से लगातार पढ़ रहे हैं। साल 2018 से उत्तराखण्ड के बच्चे भी अब इस कविता को पढ़ रहे हैं। यह कविता राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा तैयार की गई किताब रिमझिम 1 का हिस्सा है।
क्या है कविता?
छह साल की छोकरी,
भरकर लाई टोकरी।
टोकरी में आम हैं,
नहीं बताती दाम है।
दिखा-दिखाकर टोकरी,
हमें बुलाती छोकरी।
हम को देती आम है,
नहीं बुलाती नाम है।
नाम नहीं अब पूछना,
हमें आम है चूसना।
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