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तीसरी सबसे पाक जगह – अल-अक्सा मस्जिद
– फोटो : Pixabay
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सोमवार को हमास ने गाजा पट्टी से इस्राइल के यरुशलम पर 300 से अधिक रॉकेट दागे। इस हमले के जवाब में इस्राइली एयरफोर्स ने हमास (इस्राइली इसे आतंकी संगठन मानता है) के 150 से भी ज्यादा ठिकानों को अपना निशाना बनाया। मंगलवार को इस्राइल ने हमास के पॉलिटिकल विंक के ऑफिसर पर हमला करते हुए 13 मंजिला बिल्डिंग गिरा दी। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच इस जंग की शुरुआत रविवार 9 मई 2021 को हुई थी। किंतु इस विवाद का संबंध तकरीबन 73 साल पुराना है। पढ़िए…
गत रविवार को इस्राइली सुप्रीम कोर्ट ने पूर्वी जेरुसलम से फिलिस्तीनियों के सात परिवारों को हटाने का आदेश जारी किया था। आदेश में इस्राइल के गठन से पहले 1948 में यहूदी रिलिजन एसोसिएशन के अधीन आने वाले घरों को खाली करने के निर्देश दिए गए थे। इसका पालन करते हुए इस्राइल में स्थिति शेख जर्रा नामक जगह में रहने वाले 70 फिलिस्तीनियों को हटाकर यहूदियों को बसाया जाने लगा। लेकिन फिलिस्तीनी कोर्ट के इस आदेश से नाखुश थे, उन्होंने ने इसके लिए विरोध में इस्राइल में जगह-जगह पर आंदोलन किए।
रमजान महीने के आखिरी शुक्रवार के मौके पर यरुशलम की मस्जिद अल-अक्सा में भारी तादद में नमाज पढ़ने के लिए मुस्लिम इकट्ठा हुए थे। इस मस्जिद को इस्लाम में तीसरी सबसे पाक जगह माना जाता है। नमाज के बाद मौजूद मुस्लिम्स ने शेख जर्राह को खाली कराने के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू किया। लेकिन शांतिपूर्वक शुरू हुआ यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। फिलिस्तीनियों द्वारा इस्राइली पुलिस पर पथराव और पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब मस्जिद में हैंड ग्रेनेड फेंके गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष की दूसरी वजह यरुशलम-डे बताया जा रहा है। गौरतलब है कि 1967 में हुए अरब-इस्राइल युद्ध में इस्राइल की जीत के जश्न के रूप में यरुशलम-डे मनाया जाता है। 10 मई यानी यरुशलम-डे पर इस्राइली, यरुशलम से वेस्टर्न वॉल तक मार्च करते हुए प्रार्थना करते हैं। बता दें कि वेस्टर्न वॉल यहूदियों का एक पवित्र स्थल माना जाता है। इस मार्च के दौरान भी हिंसा हुई थी। इसी दिन इस्राइली सुप्रीम कोर्ट में फिलिस्तीनी परिवारों को निकाले जाने के मामले में सुनवाई होनी थी। लेकिन हिंसा को देखते हुए इसे टाल दिया गया है।
लोद शहर में अरब और यहूदी रहते हैं। इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच शुरू हुए विवाद के बाद लोद शहर में भी हिंसा भड़कने लगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोद में कई दुकानें जला दी गई है, वहीं आगजनी की दर्जनों घटनाओं की खबरें सामने आईं हैं। यहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है। वर्ष 1966 के बाद लोद में पहली बार पूरी तरह से इमरजेंसी लगाई गई है।
विस्तार
सोमवार को हमास ने गाजा पट्टी से इस्राइल के यरुशलम पर 300 से अधिक रॉकेट दागे। इस हमले के जवाब में इस्राइली एयरफोर्स ने हमास (इस्राइली इसे आतंकी संगठन मानता है) के 150 से भी ज्यादा ठिकानों को अपना निशाना बनाया। मंगलवार को इस्राइल ने हमास के पॉलिटिकल विंक के ऑफिसर पर हमला करते हुए 13 मंजिला बिल्डिंग गिरा दी। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच इस जंग की शुरुआत रविवार 9 मई 2021 को हुई थी। किंतु इस विवाद का संबंध तकरीबन 73 साल पुराना है। पढ़िए…
इस वजह से शुरू हुआ था विवाद
अल-अक्सा मस्जिद में मिला ग्रेनेड
रमजान महीने के आखिरी शुक्रवार के मौके पर यरुशलम की मस्जिद अल-अक्सा में भारी तादद में नमाज पढ़ने के लिए मुस्लिम इकट्ठा हुए थे। इस मस्जिद को इस्लाम में तीसरी सबसे पाक जगह माना जाता है। नमाज के बाद मौजूद मुस्लिम्स ने शेख जर्राह को खाली कराने के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू किया। लेकिन शांतिपूर्वक शुरू हुआ यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। फिलिस्तीनियों द्वारा इस्राइली पुलिस पर पथराव और पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब मस्जिद में हैंड ग्रेनेड फेंके गए।
यह है विवाद की दूसरी वजह
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष की दूसरी वजह यरुशलम-डे बताया जा रहा है। गौरतलब है कि 1967 में हुए अरब-इस्राइल युद्ध में इस्राइल की जीत के जश्न के रूप में यरुशलम-डे मनाया जाता है। 10 मई यानी यरुशलम-डे पर इस्राइली, यरुशलम से वेस्टर्न वॉल तक मार्च करते हुए प्रार्थना करते हैं। बता दें कि वेस्टर्न वॉल यहूदियों का एक पवित्र स्थल माना जाता है। इस मार्च के दौरान भी हिंसा हुई थी। इसी दिन इस्राइली सुप्रीम कोर्ट में फिलिस्तीनी परिवारों को निकाले जाने के मामले में सुनवाई होनी थी। लेकिन हिंसा को देखते हुए इसे टाल दिया गया है।
1966 के बाद पहली बार लगी इमरजेंसी
लोद शहर में अरब और यहूदी रहते हैं। इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच शुरू हुए विवाद के बाद लोद शहर में भी हिंसा भड़कने लगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोद में कई दुकानें जला दी गई है, वहीं आगजनी की दर्जनों घटनाओं की खबरें सामने आईं हैं। यहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है। वर्ष 1966 के बाद लोद में पहली बार पूरी तरह से इमरजेंसी लगाई गई है।
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