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Impact Of Toute: Flood-eroding Terror In Four Tehsils – ताउते का असर : चार तहसीलों में बाढ़-कटान की दहशत

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लखीमपुर खीरी में उफनाती शारदा नदी।
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, बरेली

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बनवसा बैराज से 72,416 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से शारदा और घाघरा बैराज का बहाव हुआ तेज
कोरोना के कारण स्टेयरिंग ग्रुप की बैठक भी नहीं हो पाई

लखीमपुर खीरी। ताउते के असर के कारण उत्तराखंड में हुई भारी बारिश के चलते बनवसा बैराज से शुक्रवार को 72416 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसके चलते शारदा और घाघरा बैराज का बहाव भी तेज हो गया है। बढ़ते जलस्तर से लखीमपुर, पलिया, निघासन और धौरहरा क्षेत्रों में बाढ़-कटान का खतरा पैदा हो गया है। जिला प्रशासन समेत सारी मशीनरी कोरोना महामारी से जंग में व्यस्त है, जिससे बाढ़-कटान से राहत-बचाव के लिए कोई रणनीति भी नहीं बन पाई है।
पिछले तीन-चार दिनों से पहाड़ों पर हुई बारिश से जब बनवसा बैराज उफनाया तो वहां से 72416 क्यूसेक पानी शारदा नदी में छोड़ दिया गया। इसका असर तराई क्षेत्र की पलिया, निघासन और धौरहरा क्षेत्रों में दिखने लगा है। इस पर प्रशासन ने मध्यम बाढ़ की आशंका जताई है, जिससे फसलों के डूबने के साथ ही जनहानि का खतरा बढ़ गया है। यह अभी शुरुआत है, जबकि मानसून सीजन आने के बाद जून, जुलाई और अगस्त में बाढ़-कटान की विनाशलीला देखने को मिल सकती है। इस बार बाढ़ चौकियों की स्थापना से लेकर राहत-बचाव कार्य के लिए टीमों का गठन अभी तक नहीं हुआ है और कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

प्रशासन ने बाढ़ खंड पर छोड़ी जिम्मेदारी

इस बार कोरोना महामारी से निपटने में जिला प्रशासन लगा है, जिससे बाढ़-कटान से निपटने की जिम्मेदारी बाढ़ खंड शारदानगर के सुपुर्द की गई है। सूत्र बताते हैं कि जिला प्रशासन कोरोना के प्रति काफी संजीदा है, जिससे इस बार बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता राजीव कुमार पर ही सारा दारोमदार रहेगा। हालांकि पिछले वर्ष बाढ़ खंड कई गांवों को कटने से बचाने में विफल साबित हुआ था, जबकि लाखों रुपये प्रोजेक्ट पर खर्च किए थे। अधिशासी अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि नौ स्थानों पर कटान निरोधक कार्य कराए जा रहे हैं। तीन कार्य पूरे हो गए हैं। दो कार्य 95 प्रतिशत पूरे हो गए हैं। शेष कार्य प्रगति पर है।

स्टेयरिंग ग्रुप में सभी विभाग और सामाजिक संगठन हैं सहभागी

लखीमपुर खीरी। बाढ़-कटान एवं सूखा आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए विभिन्न विभागों और सामाजिक संगठनों के साथ स्टेयरिंग ग्रुप बनाया गया। इसकी बैठक 18 मई को होनी थी, मगर नहीं हुई। इस ग्रुप में डीएम के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष पदेन सह अध्यक्ष हैं, जबकि एसपी, सीडीओ, सीएमओ, कमांडेंट एसएसबी, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, बाढ़ खंड आदि विभागों के करीब 25 अधिकारी सदस्य हैं। इसके अलावा कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी इस ग्रुप का हिस्सा हैं, जो बाढ़-राहत बचाव कार्यों में सहयोग करते हैं।

शारदा बैराज से 1.26 लाख क्यूसेक पानी का बहाव

पहाड़ों पर हुई जबरदस्त बारिश से खीरी के तराई क्षेत्रों में कहर बरपने वाला है। तीन दिन पहले तक शारदा बैराज से 4500 क्यूसेक पानी का बहाव था, जो शनिवार को बढ़कर 1.26 लाख क्यूसेक हो गया है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहाड़ों की बारिश से तराई क्षेत्रों में कितना कहर बरपेगा।

बनवसा बैराज से 72,416 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से शारदा और घाघरा बैराज का बहाव हुआ तेज

कोरोना के कारण स्टेयरिंग ग्रुप की बैठक भी नहीं हो पाई

लखीमपुर खीरी। ताउते के असर के कारण उत्तराखंड में हुई भारी बारिश के चलते बनवसा बैराज से शुक्रवार को 72416 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसके चलते शारदा और घाघरा बैराज का बहाव भी तेज हो गया है। बढ़ते जलस्तर से लखीमपुर, पलिया, निघासन और धौरहरा क्षेत्रों में बाढ़-कटान का खतरा पैदा हो गया है। जिला प्रशासन समेत सारी मशीनरी कोरोना महामारी से जंग में व्यस्त है, जिससे बाढ़-कटान से राहत-बचाव के लिए कोई रणनीति भी नहीं बन पाई है।

पिछले तीन-चार दिनों से पहाड़ों पर हुई बारिश से जब बनवसा बैराज उफनाया तो वहां से 72416 क्यूसेक पानी शारदा नदी में छोड़ दिया गया। इसका असर तराई क्षेत्र की पलिया, निघासन और धौरहरा क्षेत्रों में दिखने लगा है। इस पर प्रशासन ने मध्यम बाढ़ की आशंका जताई है, जिससे फसलों के डूबने के साथ ही जनहानि का खतरा बढ़ गया है। यह अभी शुरुआत है, जबकि मानसून सीजन आने के बाद जून, जुलाई और अगस्त में बाढ़-कटान की विनाशलीला देखने को मिल सकती है। इस बार बाढ़ चौकियों की स्थापना से लेकर राहत-बचाव कार्य के लिए टीमों का गठन अभी तक नहीं हुआ है और कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

प्रशासन ने बाढ़ खंड पर छोड़ी जिम्मेदारी

इस बार कोरोना महामारी से निपटने में जिला प्रशासन लगा है, जिससे बाढ़-कटान से निपटने की जिम्मेदारी बाढ़ खंड शारदानगर के सुपुर्द की गई है। सूत्र बताते हैं कि जिला प्रशासन कोरोना के प्रति काफी संजीदा है, जिससे इस बार बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता राजीव कुमार पर ही सारा दारोमदार रहेगा। हालांकि पिछले वर्ष बाढ़ खंड कई गांवों को कटने से बचाने में विफल साबित हुआ था, जबकि लाखों रुपये प्रोजेक्ट पर खर्च किए थे। अधिशासी अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि नौ स्थानों पर कटान निरोधक कार्य कराए जा रहे हैं। तीन कार्य पूरे हो गए हैं। दो कार्य 95 प्रतिशत पूरे हो गए हैं। शेष कार्य प्रगति पर है।

बाढ़-कटान की समस्या से निपटने के लिए बाढ़ खंड शारदानगर द्वारा संभावित स्थानों पर कार्य कराया जा रहा है। बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटने के लिए आवश्यक सामग्री की व्यवस्था के लिए टेंडर प्रक्रिया कराई जा रही है। राहत-बचाव कार्यों में कोई कमी नहीं रहेगी। – अरुण कुमार सिंह, एडीएम

स्टेयरिंग ग्रुप में सभी विभाग और सामाजिक संगठन हैं सहभागी

लखीमपुर खीरी। बाढ़-कटान एवं सूखा आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए विभिन्न विभागों और सामाजिक संगठनों के साथ स्टेयरिंग ग्रुप बनाया गया। इसकी बैठक 18 मई को होनी थी, मगर नहीं हुई। इस ग्रुप में डीएम के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष पदेन सह अध्यक्ष हैं, जबकि एसपी, सीडीओ, सीएमओ, कमांडेंट एसएसबी, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, बाढ़ खंड आदि विभागों के करीब 25 अधिकारी सदस्य हैं। इसके अलावा कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी इस ग्रुप का हिस्सा हैं, जो बाढ़-राहत बचाव कार्यों में सहयोग करते हैं।

शारदा बैराज से 1.26 लाख क्यूसेक पानी का बहाव

पहाड़ों पर हुई जबरदस्त बारिश से खीरी के तराई क्षेत्रों में कहर बरपने वाला है। तीन दिन पहले तक शारदा बैराज से 4500 क्यूसेक पानी का बहाव था, जो शनिवार को बढ़कर 1.26 लाख क्यूसेक हो गया है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहाड़ों की बारिश से तराई क्षेत्रों में कितना कहर बरपेगा।

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