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गाजियाबाद में फर्जी फर्म बनाकर टैक्स चोरी का मामला लगातार बढ़ रहा है। सेंट्रल जीएसटी गाजियाबाद की टीम ने 115 करोड़ रुपये के लेनदेन के मामले में 21 फर्जी फर्म के माध्यम से 17.58 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा किया है। इसके तहत दो लोगों की गिरफ्तारी की गई है। सेंट्रल जीएसटी कमिश्नर आलोक झा ने बताया कि 23 जुलाई को शमस्टार ग्लोबल बिजनेस सॉल्यूशंस लिमिटेड के 9 जगहों पर छापेमारी की गई। इसमें आवास, दफ्तर और अन्य स्थान शामिल हैं।
यह कंपनी मैनेजमेंट कंसल्टेंट, बिजनेस सपोर्ट सर्विसेज और अन्य तरह की सेवाएं देती है। लेकिन 21 फर्जी फर्म बनाकर इसके डायरेक्टर अनिल कुमार दूबे और प्रवीण कुमार राय ने 115 करोड़ रुपये के टैक्सेबल सर्विस पर 17.58 करोड़ का फर्जी इनपुट क्रेडिट टैक्स ले लिया। जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम को इसके लेन-देन के बारे में पता चला। फिर इसकी जानकारी गाजियाबाद की टीम को दी गई।
गाजियाबाद की टीम ने इसके दिल्ली ऑफिस और इंदिरापुरम के एटीएस एडवांटेज सोसायटी पर नजर रखना शुरू किया। जब साक्ष्य मिल गए, तो फिर एक साथ टीम ने रेड किया। गिरफ्तार दोनों डायरेक्टर को मेरठ की विशेष सीजेएम की अदालत में पेश किया गया, यहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। आगे की जांच अभी भी चल रही है और धोखाधड़ी की मात्रा और इसमें शामिल फर्मों की संख्या बढ़ने की संभावना है।
ऐसे पकड़ी गई टैक्स चोरी
जीएसटी अधिकारी बताते हैं कि जब इस कंपनी की जीएसटी पोर्टल को देखा गया तो यह जो इनपुट क्रेडिट टैक्स ले रही थी, वह लोहा, स्टील और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान की खरीद पर ले रही थी। जबकि यह कंपनी सेवा देने का काम करती थी। जैसे किसी को लोन दिलवाना और अन्य तरह की सेवा देना। यह कंपनी 21 फर्जी फर्मों के माध्यम से टैक्स चोरी करती थी। जांच में पता चला कि 21 फर्म वास्तविक रूप से हैं ही नहीं। केवल इनका रजिस्ट्रेशन करवाया गया है।
यह होता है इनपुट क्रेडिट टैक्स
पक्के बिल से जो माल खरीदा जाता है, उस पर लगा जो टैक्स देय होता है, उसी पर आपको जीएसटी रिटर्न भरने पर इनपुट क्रेडिट टैक्स मिलता है। इसको ऐसे समझिए-किसी मैनुफैक्चरर्स ने अपने उत्पाद बनाने के लिए 100 रुपये का कच्चा मामला खरीदा। इस पर उसने 12 फीसदी का जीएसटी दिया। इसके लिए उसे 112 रुपये खर्च करना पड़ा।
अब उत्पादक जो माल तैयार करेगा। उसकी कीमत है 120 रुपये, इस पर 18 फीसदी जीएसटी है। इसलिए उसे इस पर अब केवल 6 फीसदी ही जीएसटी देना पड़ेगा। क्योंकि 12 फीसदी वह पहले कच्चे माल को खरीदते समय दे चुका है। फर्जी फर्म बनाकर लोग केवल कागजों में इनपुट क्रेडिट टैक्स के माध्यम से टैक्स चोरी करने का काम करते हैं।
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