Final Year Exams 2020 UGC ने अपनी बात Sc को सौपा
Final Year Exams 2020: UGC ने वृहस्पतिवार को अपना जबाब सुप्रीम कोर्ट (SC) को यह कहते हुये Exam कराने का मकसद Student का Future को बेहतर बनाना है ।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि फ़ाइनल ईयर की परिक्षाएं (Final Year Exams) 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का मक़सद छात्रों का भविष्य संभालना है,
ताकि छात्रों के अगले साल की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए। आगे कहा गया है कि टर्मिनल वर्ष के दौरान अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षाएं आयोजित कर के उनके द्वारा अध्ययन किए गए”
विशेष इलेक्टिव पाठ्यक्रमों” का परीक्षण करना आवश्यक है। यूजीसी ने अपने जवाब में याचिकर्ताओं और विभिन्न राज्य सरकार की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किया है।
UGC ने कोर्ट से सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग हलफनामा में की है। UGC ने कहा है कि टर्मिनल परीक्षा का आयोजन एक “समय-संवेदनशील” मुद्दा है और HRD के दिशा- निर्देशों का पालन करके विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद ये परीक्षाएं कराने निर्णय लिया गया था।
पिछली सुनवाई में देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने UGC को परीक्षा रद्द करने/ स्थगित करने पर जवाब देने के लिए कहा था।
UGC ने कोर्ट में कहा था कि अधिकांश जगह परीक्षाएं हो चुकी हैं या होने वाली हैं. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अलगी सुनवाई शुक्रवार को होगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोरोना को लेकर छात्रों के स्वास्थ्य के मद्देनजर परीक्षा आयोजित न करने की अपील की गई है। सुनवाई के दौरान युवा सेना की तरफ से कहा गया कि देश में कोरोना के कारण स्थिति बिगड़ रही है
और यह परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुकूल नहीं है। इसके साथ ही याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी किए गए यूजीसी के दिशा निर्देशों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की गई।
6 जुलाई को जारी हुए यूजीसी ( UGC)) के दिशानिर्देशों में सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया गया था।
याचिकर्ताओं में COVID-19 पॉजिटिव का एक छात्र भी शामिल है। छात्र ने कहा है, “ऐसे कई अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जो या तो खुद या उनके परिवार के सदस्य COVID-19 पॉजिटिव हैं।
ऐसे छात्रों को 30 सितंबर, 2020 तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर करना, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है। ”
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