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Conduct Board Exam In Different Formats Separate Opinion Of The Education World – कोरोना का असर: अलग प्रारूपों में बोर्ड परीक्षा करवाने की योजना पर शिक्षा जगत की राय जुदा

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एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 24 May 2021 03:39 AM IST

सार

कुछ लोग सुरक्षा को तरजीह दे रहे, वहीं कुछ का कहना है कि वैकल्पिक मूल्यांकन छात्रों से अन्याय

सांकेतिक तस्वीर…
– फोटो : Amar Ujala Graphics

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कोरोना महामारी के कारण छात्रों-अभिभावकों के एक वर्ग द्वारा 12वीं बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग के बीच परीक्षा आयोजित करने की सरकार की योजना पर शिक्षा जगत आपस में बंटा हुआ है। ज्यादातर लोग कह रहे हैं कि परीक्षा जरूरी है और मूल्यांकन के वैकल्पिक तरीकों से छात्रों के साथ न्याय नहीं होगा।

वहीं दूसरे वर्ग को कहना है कि इस असाधारण परिस्थिति में छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्रालय 1 जून तक परीक्षा कराने पर अंतिम फैसला लेगा।

एनएसयूआई के अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा है कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए 19 विषयों की परीक्षा लेना भी उतना ही खतरनाक है, जितना सभी विषयों की परीक्षा लेना। मोदी सरकार को यह खतरा नहीं उठाना चाहिए।उन्होंने कहा कि छात्रों के जीवन को दांव पर लगाना सरकार का अंतिम विकल्प होना चाहिए।

वहीं, इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष अनुभा श्रीवास्तव सहाय का कहना है कि बोर्ड परीक्षा के बारे में सर्वसम्मत फैसला नहीं होने से देश में पूर्ण अस्तव्यस्तता का माहौल है। जबकि एल्केन समूह के स्कूल के निदेशक अशोक पांडे का कहना है कि परीक्षा जरूरी है, लेकिन ऐसी असाधारण परिस्थिति में परीक्षा कराने के सारे प्रयासों से ऊपर लोगों की सुरक्षा पर हमदर्दी और चिंता को रखा जाना चाहिए।

उधर, दिल्ली राज्य पब्लिक स्कूल प्रबंधन संघ के अध्यक्ष आरसी जैन का कहना है, हम परीक्षा के लिए तैयार हैं। दिल्ली सरकार का परीक्षा नहीं कराने के लिए टीकाकरण का बहाना बनाना अनुचित है। परीक्षा जरूरी है और छात्रों का किसी अन्य तरीके से मूल्यांकन करना उनके साथ न्याय नहीं होगा।

विस्तार

कोरोना महामारी के कारण छात्रों-अभिभावकों के एक वर्ग द्वारा 12वीं बोर्ड परीक्षा रद्द करने की मांग के बीच परीक्षा आयोजित करने की सरकार की योजना पर शिक्षा जगत आपस में बंटा हुआ है। ज्यादातर लोग कह रहे हैं कि परीक्षा जरूरी है और मूल्यांकन के वैकल्पिक तरीकों से छात्रों के साथ न्याय नहीं होगा।

वहीं दूसरे वर्ग को कहना है कि इस असाधारण परिस्थिति में छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्रालय 1 जून तक परीक्षा कराने पर अंतिम फैसला लेगा।

एनएसयूआई के अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा है कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए 19 विषयों की परीक्षा लेना भी उतना ही खतरनाक है, जितना सभी विषयों की परीक्षा लेना। मोदी सरकार को यह खतरा नहीं उठाना चाहिए।उन्होंने कहा कि छात्रों के जीवन को दांव पर लगाना सरकार का अंतिम विकल्प होना चाहिए।

वहीं, इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष अनुभा श्रीवास्तव सहाय का कहना है कि बोर्ड परीक्षा के बारे में सर्वसम्मत फैसला नहीं होने से देश में पूर्ण अस्तव्यस्तता का माहौल है। जबकि एल्केन समूह के स्कूल के निदेशक अशोक पांडे का कहना है कि परीक्षा जरूरी है, लेकिन ऐसी असाधारण परिस्थिति में परीक्षा कराने के सारे प्रयासों से ऊपर लोगों की सुरक्षा पर हमदर्दी और चिंता को रखा जाना चाहिए।

उधर, दिल्ली राज्य पब्लिक स्कूल प्रबंधन संघ के अध्यक्ष आरसी जैन का कहना है, हम परीक्षा के लिए तैयार हैं। दिल्ली सरकार का परीक्षा नहीं कराने के लिए टीकाकरण का बहाना बनाना अनुचित है। परीक्षा जरूरी है और छात्रों का किसी अन्य तरीके से मूल्यांकन करना उनके साथ न्याय नहीं होगा।

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