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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sun, 13 Jun 2021 10:42 AM IST
सार
यूपी में धर्मांतरण अध्यादेश नवंबर 2020 में लाया गया मगर सरकार ने इसे मार्च 2021 में गजट मेंं प्रकाशित किया। चार मार्च 2021 को राज्य पाल के हस्ताक्षर के बाद यह प्रदेश में लागू हुआ।
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महोबा निवासी मुन्ना खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा कि पीड़िता याची के सभी कार्यों में अपनी मर्जी से सक्रिय सहभागी रही है। इससे जाहिर है कि वह अपनी इच्छा से आरोपी के साथ रह रही थी और यहां तक की दूसरे व्यक्ति के साथ शादी हो जाने के बाद भी उसने आरोपी से रिश्ते बनाए रखे। याची मुन्ना खान के खिलाफ पीड़िता ने चार मार्च 2021 को महोबा कोतवाली में आईपीसी की धाराओं के अलावा धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है।
आठ दिसंबर 2020 को पीड़िता ने दीपक कुशवाहा नाम के व्यक्ति से शादी की और दिल्ली चली गई। पीड़िता ने पुलिस और मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में कहा है कि 18 फरवरी 2020 को वह महोबा वापस आई और फिर अपनी बहन के साथ मुन्ना खान के यहां उरई में दो मार्च तक रही। जहां मुन्ना खान ने उस पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल जांच से स्पष्ट है कि पीड़िता की आयु 19 वर्ष है। उसने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की है। वह उसी इलाके में रहती है जहां आरोपी रहता है।
महोबा जैसे छोटे शहर में यह संभव नहीं है कि पीड़िता आरोपी की पृष्ठ भूमि और धर्म से परिचित न रही हो। वह भी चार साल तक उसके साथ रहने के बाद। आरोपी के पास से पुलिस को जांच में कोई फोटोग्राफ या वीडियो नहीं मिला है। अपने बयान में भी पीड़िता ने कहा है कि वह पिछले चार वर्षों से आरोपी के साथ रिश्ते में थी। पीड़िता की हकीकत उसके बयानों से ही जाहिर होती है। आज की तारीख तक उसका धर्म परिवर्तन नहीं हुआ है। जिससे अध्यादेश की धारा 12 इस मामले में लागू नहीं होती है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जमानत आदेश में की गई टिप्पणियां का ट्रायल कोर्ट के फैसले पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
यूपी में धर्मांतरण अध्यादेश नवंबर 2020 में लाया गया मगर सरकार ने इसे मार्च 21 में गजट मेंं प्रकाशित किया। चार मार्च 21 को राज्य पाल के हस्ताक्षर के बाद यह प्रदेश में लागू हुआ।
विस्तार
महोबा निवासी मुन्ना खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा कि पीड़िता याची के सभी कार्यों में अपनी मर्जी से सक्रिय सहभागी रही है। इससे जाहिर है कि वह अपनी इच्छा से आरोपी के साथ रह रही थी और यहां तक की दूसरे व्यक्ति के साथ शादी हो जाने के बाद भी उसने आरोपी से रिश्ते बनाए रखे। याची मुन्ना खान के खिलाफ पीड़िता ने चार मार्च 2021 को महोबा कोतवाली में आईपीसी की धाराओं के अलावा धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
आठ दिसंबर 2020 को पीड़िता ने दीपक कुशवाहा नाम के व्यक्ति से शादी की और दिल्ली चली गई। पीड़िता ने पुलिस और मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में कहा है कि 18 फरवरी 2020 को वह महोबा वापस आई और फिर अपनी बहन के साथ मुन्ना खान के यहां उरई में दो मार्च तक रही। जहां मुन्ना खान ने उस पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल जांच से स्पष्ट है कि पीड़िता की आयु 19 वर्ष है। उसने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की है। वह उसी इलाके में रहती है जहां आरोपी रहता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट
यूपी में धर्मांतरण अध्यादेश नवंबर 2020 में लाया गया मगर सरकार ने इसे मार्च 21 में गजट मेंं प्रकाशित किया। चार मार्च 21 को राज्य पाल के हस्ताक्षर के बाद यह प्रदेश में लागू हुआ।
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